फलोदी का सवेरे की वो हवा
जो आज की शहरों की भीड़
में लोगो ने गांवो को भूला दिया
पर जब हम सब बुढे हो जायेंगे
तब हम सब गांवो को याद करेंगे
पर जब तक लोग गांव को भी शहर
जैसे बना देंगे आज वो लोगों को शर्म
आती है यह बोलने में की में गांव से हु
आज लोगों को रुपयों की चकाचौंध
ने उनकी आंखों पर पट्टी लगा दी हैं
पर उन रुपयों की चकाचौंध में उनको
यह नही पता कि प्यार और अपनापन तो
साथ रहने में ही हैं